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सफलता देर सेही सही, लेकिन किलती जरूर है
युवा गायक एवं संगीतकार संतोख ससंह आज सजस मुकाम पर हैंवहां पहुंचने के सिए उन्होंने
मायानगरी मुंबई मेंकडी मशक्कत की है। उनकी प्रदसशित होनेवािी पंजाबी सिल्म ‘गन एंड गोि’
का गाना ‘बाहां गोररया’ ं आजकि कािी चचािमेंहैं। इस गीत को उन्होंनेनेहा कक्कड केसाथ बहुत
ही उमदा अंदाज मेंगाया है। हाि ही मेंउन्होंने‘मानसून’ सिल्म का गाना रासिीिा नेहा कक्कड के
साथ भी गाया ह।ै यही नहीं इनकी आवाज का जादूरमता जोगी और आनेवािी सिल्मों मेंभी सुनने
को समिेगा। उल्िेखनीय हैसक सिल्म ‘िकी कबूतर’ जो सपछिेसाि ररिीज हुई, केसिए भी उन्होंने
गीत गाया है। इसमेंसंगीत भी उन्होंनेसदया जो कािी पसंद सकया जा रहा है।
संगीतकार संतोख ससंह बताते हैंसक उन्हेंशांसत केसाथ काम करना अच्छा िगता है। जब िोग
उनसेबातचीत करतेहैंतो दो गीतों ‘चन्ना वेघर आ जा व… े ’ और ‘चि बैठ पजेरो में…’ बारेमें
अक्सर बातचीत होती है। वेकहतेहैंसक उन्हेंअसधक सदखावा पसंद नहीं ह।ै उन्होंनेअभी तक जो भी
काम सकया हैअपनेिोगों केसाथ सकया है। वेकहतेहैंसक जो िोग उन्हेंजानतेहैंऔर संगीत को
समझतेहैंउनकेसाथ काम करना उन्हेंअच्छा िगता है।
संतोख ससंह केमाता-सपता राजस्थान केशहर गंगानगर मेंहैं। वेवहीं पैदा हुए। िेसकन उनकी बोिी
मेंआज भी पंजाब का असर है। पहिेउनकेमाता-सपता पंजाब मेंरहतेथे। वहां सेसवस्थासपत होकर
गंगानगर आए। घर मेंसभी भाई-बहन पंजाबी ही बोितेहैं। स्कूि की पढाई केसमय गीत गानेका
शौक था। शौक कॉिेज तक पहुंचा और यह म्यूसजक डायरेक्टर बननेतक िेगया। संतोख ससंह बताते
हैंसक वह िंदन की रॉयि म्यूसजक यूसनवससिटी केछात्र रहेह।ैं वहांसेवेस्टनिक्िाससकि मेंसडग्री िेने
केबाद कररअर बनानेकेसिए मुंबई आ गये। एक सदन स्टूसडयो मेंदोस्त केसाथ खािी समय में
स्वयं कंपोज सकए गयेगीत को गा रहेथेतो वहां पर बैठेिोगों नेकहा, तुम्हारी आवाज तो बहुत
अच्छी है। और यहीं सेसंगीत कंपोज करनेकी इच्छा जगी। एक सदन खबर समिी सक एक एिबम में
म्यूसजक देना है। इस तरह उन्हेंपहिा काम समिा और यह वही एिबम थी, सजसकेएक गीत ‘चना वे
घर आजा वे…’ नेिोगों केसदि मेंबसा सदया।
संतोख ससंह ने‘िॉटरी’, ‘सकस्मत िव पैसा सदल्िी’, ‘बम्बू’ और एक पंजाबी सिल्म ‘मर जावां गुड
खा क’े मेंसंगीत सदया है। ‘िकी कबूतर’ का एक गीत सजसमेंसुसनसध चौहान नेसाथ सदया है। अपने
: संतोख कसंह
गायेइस गीत सेभी ‘सकस्मत िव पैसा सदल्िी’ केगीत ‘चि बैठ पजेरो में…’ की तरह सििता की
उम्मीद है।
संतोख बतातेह, ैं सक संगीतकार ‘उस्ताद नुसरत ितेह अिी खान, नौशाद, िक्ष्मीकांत-प्यारेिाि,
एआर रहमान आसद सेप्रेररत होकर वेसंगीत की दुसनया मेंआय।े अगर पसंदीदा संगीतकार की बात
करेंतो वेएआर रहमान ह।ैं रहमान सोििुि इंसान हैं। वेकहतेहैंसक वेजो भी धुन बनातेह, ैं उसमें
आत्मा होती है। वेसंगीत की दुसनया मेंसुिझे हुए इंसान हैं। अन्य संगीतकारों मेंसवशाि-शेखर,
प्रीतम, सवशाि भारद्वाज को भी पसंद करतेह।ैं वेकहतेहैंसक इन सभी संगीतकारों की तरह सुरीिा
और मधुर संगीत की कल्पना मेंखोया रहता हूं।
संतोख ससंह का कहना हैसक मेरी बतौर संगीतकार जो भी पहचान बनी ह, ै मैंउससेखुश ह।ूं िोग
उन्हेंजाननेिगेहैं। उन्हेंएक अच्छेमौकेकी तिाश ह।ै उनकी कुछ सिल्मेंआनेवािी हैं। उम्मीद है
कामयाबी समिेगी। उन्हेंइस बात की तसल्िी हैसक वेसकसी की नकि नहीं करते। ओररसजनि और
अच्छा काम करतेहैंअपनी शैिी की धुनेंबनातेहैंतथा साथ ही िोकधुनों को भी उनमेंसमेटतेह।ै
उनका मानना हैसक सििता देर सेही सही, िेसकन एक सदन समिती जरूर ह।ै