सुनीता विलियम्स और भारत: एक गहरा संबंध

सुनीता विलियम्स और भारत: एक गहरा संबंध
सुनीता विलियम्स, भारतीय मूल की नासा अंतरिक्ष यात्री, झुलासन गांव से जुड़ी हैं और अंतरिक्ष में भगवद गीता व गणेश मूर्ति ले गई थीं।
भारतीय मूल और पारिवारिक पृष्ठभूमि
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहायो में हुआ था और उनके पिता डॉ. दीपक पंड्या गुजरात के झुलासन गांव से हैं। उनके पिता एक प्रसिद्ध तंत्रिका वैज्ञानिक हैं और उनकी मां बोनी पंड्या स्लोवेनियाई मूल की हैं, जिससे उनकी सांस्कृतिक विरासत विविध है।
भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव
उन्होंने अंतरिक्ष में भगवद गीता, भगवान गणेश की मूर्ति ले जाकर भारतीय संस्कृति से अपने गहरे जुड़ाव को दर्शाया और दीवाली मनाई। इसके अलावा, उन्होंने अंतरिक्ष में भारतीय भोजन जैसे समोसे और मसालेदार करी का आनंद लिया, जो उनकी भारतीय जड़ों से जुड़ाव को दर्शाता है।

झुलासन गांव में उत्सव
हर मिशन के दौरान झुलासन गांव में उत्सव मनाया जाता है, जहां उनकी सफलता के लिए विशेष यज्ञ और आतिशबाजी आयोजित की जाती है। गांव के लोग गर्व से उनके हर मिशन का इंतजार करते हैं और उनकी उपलब्धियों को एक राष्ट्रीय गौरव के रूप में देखते हैं।
शिक्षा और करियर यात्रा
सुनीता विलियम्स ने अमेरिकी नौसेना में एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में अंतरिक्ष यात्री बनीं। उन्होंने 2006 में पहली बार अंतरिक्ष यात्रा की और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर छह महीने बिताए, जिससे वे सबसे अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहने वाली महिला बनीं।
प्रेरणा और योगदान
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा और उपलब्धियां विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हैं। उन्होंने कई छात्रों और युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित किया है, जिससे भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रति रुचि बढ़ी है।
सम्मान और उपलब्धियां
सुनीता विलियम्स को भारत और अमेरिका दोनों में कई सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें पद्म भूषण सम्मान भी शामिल है। उन्हें नासा के विभिन्न पुरस्कार मिले हैं और कई विश्वविद्यालयों में उनके नाम पर विशेष व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं।